तुझको अपना बनाने की ख्वाहिश थी बस
बस तेरा नाम मै गुनगुनाता रहा
तुझको रख के निगाहों में साहिल सदा
सारी दुनिया से नज़रें चुराता रहा
बस तेरा नाम लेकर मै जीता गया
ख्वाब तेरे हमेशा सजाता रहा
देखता था तुझे हर घडी हर जगह
रेत पर घर हमेशा बनाता रहा
एक दिन आया झोंका हवा का मगर
जो की साहिल के घर को उड़ाता रहा
मै भी मजबूर था वो मेरे सामने
रेत में मेरे घर को मिलाता रहा
जिसको अपना बनाने की कोशिश करी
उम्र भर मुझसे दामन बचाता रहा
किससे कहता ? है साहिल अकेला बहुत
वो अकेला ही आंसू बहाता रहा........