ज़िन्दगी हम हाथ थामे,बस यूँ चलते रहें
चाहे घड़ी, घंटे, दिन महीने साल बदलते रहे
बीतते इस साल को हंस के विदा चल कर लें हम
आने वाले साल में चल रंग-ओ-मस्ती भर लें हम
आ नए इस साल में कोई नया सा प्रण करें
मुश्किलों के काफिलों से डट के क्यों न रण करें
करें प्रण इस साल में हांसिल हमें वो मुकाम हो
पैरों तले हो ज़मीन पर मुट्ठी में आसमान हो
नाम लिख दें हम गगन पे अपना, चल ऐ ज़िन्दगी
कर दें हम साकार ये भी सपना, चल ऐ ज़िन्दगी.....
-संकल्प त्रिपाठी 'साहिल'
Isko kahte hain..Zabardast
ReplyDeleteSahil g..Bhut dino ke baad apka poem firse padhne ko mila..thanks
I hope it will be continue...
God bless you...
Happy New Year 2012.
kavitayen chalti rahengi dost...
ReplyDelete:-)