मैंने अहमियत तुम्हारी
तो तुम्हे पाया मैंने अपने दिन में
पहली किरण की जगह
पहली किरण जो हौले से देती है दस्तक
मेरी अँधेरी रातों के दरवाज़े पर
और कहती है
"मुझे मालूम है तुम्हे रात भर था मेरा इंतज़ार
इसी लिए आई हूँ करने, मै तुम्हारे दिन का श्रृंगार
परन्तु मै इतनी आसानी से नहीं मिलूंगी तुम्हे
मुझे पाने के लिए तुम्हे नींद से जागना होगा
मेरे इंतज़ार में जो सपने देखे थे रात भर
उन्हें साकार करने के लिए दौड़ना-भागना होगा
दिन भर साथ रहूंगी तुम्हारे
पर सिर्फ तुम्हारी प्रेरणा बनके
अगर कर पाए तुम इस अग्नि-परीक्षा को पार
तब दे दूँगी मै तुम्हारे सपनों को आकार
कड़ी धूप से मै शीतल छाँव बन जाऊँगी
बनूँगी साँझ, साँझ बन के मै ढल जाऊँगी
महसूस करना मुझे उगते हुए चाँद की शीतलता में
मै बन के चांदनी तुम्हारे आँगन में उतर आऊंगी
तुम्हारी ही तरह मुझे भी है उस पल का इंतज़ार
मै सिमट जाऊँगी तुम में, मुझे बाहों में भर लेना
हसीन रात, ठंडी पुरवाई, और सिर्फ हम दोनों
तारों की छाँव में अपने सारे सपने सच कर लेना
अधूरे से हैं हम दोनों ही एक दूजे क बिन साथी
एक हो कर हम दोनों को मुकम्मल कर देना
परन्तु इस अथाह असीमित प्रेम-पूरित
पल को पाने के लिए तुम्हे अभी नींद से जागना होगा
मेरे इंतज़ार में जो सपने देखे थे रात भर
उन्हें साकार करने के लिए दौड़ना-भागना होगा....."
तुम्हारी बातें सुनते ही मै उठ खडा होता हूँ
दिन भर कड़ी मेह्नत करने के लिए तैयार
क्यूंकि ज्ञात है मुझे कि तभी कर पाऊंगा
अपने और तुम्हारे सपनों को साकार
तुमसे बस इतना ही निवेदन है प्रिये
रोज़ यूँ ही पहली किरण बन के
मुझे नींद से जगाती रहना
बन के तुम प्रेरणा मन्ज़िल की तरफ
यूँ ही मेरे कदम बढ़ाती रहना
हमेशा मेरे दिन की पहली किरण बनी रहना.....